Kalighat Paintings: कोलकाता की कालीघाट चित्रकला – मंदिरों से मॉडर्न गैलरी तक का सफर

Kalighat paintings या कोलकाता की कलाघाट चित्रकला, बंगाल की पारंपरिक कला का एक अनमोल रत्न है। यह भारतीय लोक कला (Indian folk art) का ऐसा उदाहरण है, जो धार्मिकता, सामाजिक व्यंग्य और रचनात्मकता को एक साथ दर्शाती है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि यह चित्रकला कैसे कोलकाता के कालीघाट मंदिर से निकलकर आज की मॉडर्न आर्ट गैलरियों में पहुंच गई।

कालीघाट पेंटिंग्स की उत्पत्ति

19वीं सदी की शुरुआत में, Kalighat paintings का जन्म कोलकाता के कालीघाट मंदिर के आस-पास हुआ। उस समय कलाकार मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को देवी-देवताओं की चित्रित पेंटिंग्स बेचते थे। ये चित्र तेज ब्रश स्ट्रोक्स और सीमित रंगों के साथ बनाए जाते थे। इसमें धार्मिक भावनाओं की स्पष्ट झलक दिखाई देती थी।

Kalighat paintings की शुरुआत धार्मिक चित्रण से हुई थी, लेकिन धीरे-धीरे इसने सामाजिक मुद्दों को भी अपने कैनवास पर उतारना शुरू किया।

कला की शैली और तकनीक

Kalighat art की सबसे खास बात यह है कि इसमें सिंपल लाइन्स, बोल्ड कलर्स और नाटकीय एक्सप्रेशन होते हैं। पारंपरिक पटचित्रा शैली से यह कला इसलिए अलग है क्योंकि इसमें अधिक गतिशीलता (movement) और यथार्थवाद (realism) होता है।

  • रंग: प्राकृतिक और घरेलू रंगों का उपयोग होता था जैसे हल्दी, कोयला, लाल मिट्टी।
  • ब्रशवर्क: बांस और बालों से बना ब्रश इस्तेमाल होता था।
  • पेपर: हैंडमेड पेपर पर चित्र बनाए जाते थे।

कला की विशेषताएँ

Kalighat art की खासियत उसकी बोल्ड ब्रश स्ट्रोक्स, न्यूनतम रंगों का उपयोग और एक सशक्त विषय होता है। यह शैली पश्चिम बंगाल के अन्य लोककलाओं जैसे पटचित्रा (Pattachitra) से भिन्न है।

Kalighat paintings

सामाजिक व्यंग्य और बदलाव

कोलकाता की कलाघाट चित्रकला का सबसे दिलचस्प पहलू यह है कि इसमें समाज के पाखंडों और ब्रिटिश राज के भ्रष्टाचार को भी चित्रित किया गया। कई पेंटिंग्स में बाबाओं, साहबों और आधुनिक महिलाओं के जीवन का हास्य रूप में चित्रण किया गया है।

यह केवल बंगाल की पारंपरिक कला नहीं थी, बल्कि समाज के दर्पण जैसी भी थी।

प्रमुख कलाकार और परिवार

कालीघाट चित्रकला को जिन परिवारों ने जीवित रखा उनमें प्रमुख हैं – पटुआ (Chitrakar) समुदाय। इन कलाकारों ने सिर्फ धार्मिक चित्र नहीं बनाए बल्कि समाज में फैले भ्रष्टाचार, ढोंग, और पाखंड पर भी व्यंग्य किया।

  • कुछ प्रसिद्ध विषय: लंपट बाबाओं का पर्दाफाश, अंग्रेजों के साथ घुलती भारतीय महिलाएं, वकीलों और साहूकारों का चित्रण।

कोलकाता की कलाघाट चित्रकला ने समाज को एक दर्पण दिखाया और लोक कला को नया आयाम दिया।

कोलकाता की संस्कृति में प्रभाव

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Kalighat art केवल एक चित्रकला नहीं, बल्कि कोलकाता की शहरी संस्कृति का प्रतिबिंब रही है। 19वीं सदी में जब बंगाल पुनर्जागरण (Renaissance) का दौर चल रहा था, यह कला उस युग की सामाजिक बहसों और नई सोच को दिखाने का माध्यम बनी।

  • ब्रह्म समाज आंदोलन, नारी मुक्ति, अंग्रेज़ी शिक्षा जैसे विषयों को भी चित्रों में दिखाया गया।
  • कला ने कई बार व्यंग्यात्मक तरीके से आधुनिकता पर सवाल उठाए।

मंदिर से गैलरी तक

समय के साथ, जब मशीन से बनी तस्वीरों ने बाजार पर कब्जा कर लिया, तो Kalighat art का मूल रूप धीरे-धीरे समाप्त होने लगा। लेकिन 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, भारतीय और विदेशी आर्ट कलेक्टरों ने इसे पुनर्जीवित किया।

आज, Kalighat art भारतीय लोक कला के रूप में विश्वभर के म्यूज़ियम और आर्ट गैलरियों में प्रदर्शित की जाती हैं।

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कैसे बचाया गया इस कला को?

  • कलाकारों को सरकारी सहयोग मिला।
  • विश्वविद्यालयों और आर्ट स्कूलों में रिसर्च शुरू हुई।
  • कुछ परिवार आज भी इस परंपरा को जीवित रखे हुए हैं।

अंतरराष्ट्रीय पहचान

आज यह art केवल भारत तक सीमित नहीं रही है। यह दुनिया भर के संग्रहालयों में प्रदर्शित की जा रही है।

प्रमुख संग्रहालय:

  • Victoria and Albert Museum, London
  • Metropolitan Museum of Art, New York
  • Indian Museum, Kolkata

आज की दुनिया में पुनरुत्थान

21वीं सदी में art का एक नया रूप देखने को मिला है — डिजिटल आर्ट और मिक्स्ड मीडिया के ज़रिए। कलाकार इस पारंपरिक शैली को आधुनिक माध्यमों में ढाल रहे हैं।

  • NFT और डिजिटल गैलरीज़ में कलाघाट स्टाइल के चित्र बेचे जा रहे हैं।
  • स्कूलों और कॉलेजों में इस विषय पर रिसर्च हो रही है।
  • राज्य सरकार द्वारा पेंटरों को ट्रेनिंग और स्कॉलरशिप दी जा रही है।

निष्कर्ष

Kalighat paintings, बंगाल की सांस्कृतिक आत्मा और भारत की पारंपरिक कलाओं की अद्वितीय धरोहर है। यह सिर्फ एक चित्रकला नहीं, बल्कि समाज, धर्म, और राजनीति का आइना रही है। मंदिरों की दीवारों से निकलकर जब यह कला आज की आधुनिक दीर्घाओं में पहुंची, तो यह साबित हुआ कि लोककला भी समय के साथ आधुनिक हो सकती है।

अगर आपको भारतीय लोक कला से प्रेम है, तो paintings art ज़रूर आपकी पसंद बनेंगी।

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